वह जो कभी साथ दिखती है, कभी छुप जाती है
सिर्फ़ छाया होती है
हमें मुगालते में रखनेवाली
हमारी ही सिरफ़िरी काया होती है
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सदाएं जब बेताब हो जाती हैं
चाहतें इंकलाब हो जाती है
हर सांस एक ज़िंदगी हो जाती है
ख्वाहिशें आफ़ताब हो जाती है
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सपनें अच्छे होते हैं
मगर बहुत कम सच्चे होते हैं
सपनें देखिए पर उनके पीछे भागिए मत
सपनों के घर बहुत कच्चे होते हैं
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भ्रष्ट ताज भ्रष्ट राज
भ्रष्ट व्यवस्था भ्रष्ट काज
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खूबसूरती भी बन जाती है
खुद अपनी मौत का सामान
हर फ़ूल खूबसूरत होता है
टूटने से पहले
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कुछ भी पूछ लीजिए पर
सच भूल कर भी नहीं
बता दीजिए कुछ भी मगर
सच भूल कर भी नहीं
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यारों की बगावतें होती हैं प्यारी
यारों में ही तो बसती है जान हमारी
ये हम में और हम इन में एकमेक
हम ही शिकार, हम ही शिकारी
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