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बातों ही बातों में बात निकल आती है
एक दो नहीं कई साथ निकल आती है
कितने ही लोकों, लोगों से साक्षात कराती
हर ऊंचाई गहराई नापती चली जाती है
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खरबों के तिरुपति, अरबों के सांई
श्रद्दा,भक्ति में कमी कहीं ना आई
लानत है भिखमंगों पर
वहीं के वहीं है भाई!!
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सांस और दिल का अज़ीब अहम रिश्ता है
एक हिलाता है एक हिलता है
सांस तो सभी के पास मिल जाती हैं मगर
दिल बहुत मुश्किल से मिलता है
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आशिकों के भरोसे बहुत नाज़ुक होते हैं
बहुत ही सिरफ़िरे माशूका माशूक होते हैं
मज़ाल है बिना पूछे सांस भी ले
दोनों तरफ़ हाथों में चाबुक होते हैं
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गोदने की मांनिद
बहुत ही बेरहमी से रौंदा ऎसे?
ज़िंदगी, ज़िंदगी नहीं
खालिस मिट्टी का घरौंदा हो जैसे
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ज़िंदगी का कोई भी पल दिन महिना साल
साधारण नहीं होता
हर बीता पल दिन महिना साल असाधारण है
जो जीने का
अगला पल दिन महिना साल देता
अपनी आंखों में उसे मेरा चेहरा दिखता है
मुझे अपनी आंखों में उसका पहरा दिखता है
सच! यह प्यार है कि बिसात कोई
अपना ही वजूद कोई मोहरा दिखता है
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इस ठंड का भी कोई जवाब नहीं
कितना और ठंडाएगी हिसाब नहीं
क्या बताएं किस तरह गुजर रही है
हम बर्फ़ में लगें हैं, आपका साथ नहीं
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हर आहट पर उनका गुमां होता है
आग वहां होगी ही, जहां धुंआ होता है
हम क्या बताएं आपको हमारा पता
हम वहीं होते हैं, वह जहां होता है
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देखती है पर होलै से छुप छुप कर देखती है
थोडी थोडी देर में रुक रुक के देखती है
कुछ आंखों से जब हटती ही नहीं आंखें
आंखें उन आंखों को झुक झुक के देखती है
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दुआ है, सिर्फ़ लम्बाई में ही नहीं
आदमियत में भी बडा हो
बेटा आपका, आपकी उम्मीदों में भी
बडा हो..
करे अच्छे काम, बडा नाम कमाए!
सबको लगे प्यारा, सबके मन बस जाए!
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इस तरफ़ कि उस तरफ़
ना जाने किस तरफ़
हर राह का मुकाम एक
चले जाओ जिस तरफ़
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राहों को कभी मंज़िल नहीं समझा
मुश्किलों को कभी मुश्किल नहीं समझा
दरिया में उतर कर ही पहुंचते हैं पार
किनारों को कभी साहिल नहीं समझा
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