यादें हार जाती हैं वक्त जीत जाता है
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हो गई सरे बाज़ार जग हंसाई मेरी
जब छोड के चला गया वो कलाई मेरी
हुई न थी ऎसी भी उससे लडाई मेरी
रोके से भी ना रुकी रुलाई मेरी
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कितने लोग, पढते हैं खुद को
पूरी की पूरी जमात जुटी है
औरों को पढाने में
कितने लोग, आजमाते हैं खुद को
पूरी की पूरी जमात जुटी हैं
औरों को आजमाने में
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कुछ लोगों ने ज़िंदगी को ये अर्थ दिए
आज़ाद परिंदे कैद कर लिए
कर न सके फ़िर कभी उडने का हौसला
पिंज़रों में भी उनके पर कतर दिए
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नींद में इधर उधर
हाथ पैर चलाते हैं
ख्वाबों वो हमें अक्सर
यूं छेड जाते हैं
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मिलते हैं सच्चे दोस्त
ज़िंदगी में नसीब से
समझे जो दोस्त और दोस्ती को
दिल के करीब से
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ज़िंदगी इस तरह जिया कीजिए
बस प्यार ही प्यार किया कीजिए
कोई आप को कुछ दे कि न दे
आप सभी को अपना प्यार दिया कीजिए
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