दो प्रेमियों का जोडा चांद सा
चांद मालूम भी न होगा
धरती पर क्या क्या है चांद सा
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लोगों के लिए इतना करते लोग
लोगों के लिए जीते मरते लोग
लोगों को देख घबरा जाते हैं
लोगों से कितना डरते लोग
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उम्र बीत जाती है मंजिलों की चाह में
मंजिल होती ही नहीं कोई ज़िंदगी की राह में
हर थकान पर कुछ सुस्ताना ठीक रहता है
आगे का सफ़र ठीक रहता है
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किस में अपनी आस्था मानूं
किधर अपना रास्ता जानूं
हर शै बदल रही है फ़ैशन की तरह
किस फ़ैशन में खुद को ढालूं, अपना वजूद बचालूं
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ज़िंदगी खतम हुई कि सांस की आवा-जाही पता नहीं
सोच खतम हुई कि कलम की स्याही पता नहीं
इतना तो पता है कि खतम हुआ है कुछ
पर कहां कहां क्या क्या खतम हुआ पता नहीं
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कहां कहां फ़िसला, कहां कहां अडा होगा
जब वह अपने पैरों पर खडा होगा
कितनी मुश्किलों से लडा होगा
तब कहीं जाकर बडा होगा
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शब्दों से मत खेलो यार
शब्द बाण है शब्द व्यवहार
शब्दों से हो गया महाभारत
गीता शब्दों का चमत्कार
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