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इस ब्लाग का उद्देश्य मित्रों को अच्छे अच्छे हिन्दी एसएमएस उपलब्ध कराना है. सहयोग अपेक्षित है...जुडें और जोडें

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14/09/2011


हर तरफ़ फ़ूल हों, खुश्बुओं का अहसास
उमंगें ही उमंगें हो न कहीं संत्रास
हर रिश्ते में घुली हो जीवन की मिठास
जीतें हम विश्वास को, दें सबको विश्वास
मिले सबको खुशियां. पूरी हों हर आशा
प्रेम के दिन गढें प्रेम की नई परिभाषा
******

नहीं कोई यार आप सा, जानते हैं अच्छी तरह
मांगते हैं आपको खुदा से रोज़ दुआ की तरह
हसरत यही कि जब तक रहे जान में जान
आप हमारे ही रहें हमारे साए की तरह
*******

सूरज तो रोज़ ही आता, चला जाता है जलाकर
ये छांव ही है किसी की जो रखती है हमें बचाकर
ले जाता रोज माली तोडकर न जाने कितने फ़ूल बगीचे से
फ़िर भी खिलते ही हैं फ़ूल, वही ताज़गी और खुश्बू लेकर
*******

इससे पहले कि आंखों के मोती, किरकिर हो जाए
इससे पहले कि सपनों के महल, खण्डहर हो जाए
हम टटोल लें अपनी अपनी ज़मीं आसमां
जाने कब यह अब्र सा दिन, कब्र सी सहर हो जाए


कितने हीं जवाब दूं तुम्हारे सवाल खतम न होंगे
कितना ही हिसाब दूं तुमको हज़म न होंगे
रिश्ता  कुछ ऎसा ही  हो गया है हमारा
चाहे जितना पास हों, फ़ासले कम न होंगे
*******

18/05/2011


उदासियों के भार ढोने नहीं देती
आंखें मेरी मुझको, रोने नहीं देती
आते हैं जाने कितने ही तूफ़ां
हौसला ओ जिद कश्ती डूबोने नहीं देती
*******

हर वक्त किसी न किसी जोड-तोड, जुगाड में रहते हैं
किसी को थापने और किसी को उखाड में रहते हैं
सब कायल हैं उनकी काबलियत के यारों!
किसी सरकार के नहीं हैं, पर सरकार में रहते हैं
*******

कितने खुशकिस्मतों को नसीब है हंसी
जाने कितनों की जान, कहां कहां फ़ंसी
नसीबों की बात, किसी को आती नहीं हंसी 
किसी की रुकती नहीं हंसी
*******

हौसलों के हमने अपने पर जो फ़डफ़डाए,
आसमां से भी आगे कई आसमां नजर आए
जितना आजमाना है आजमाले ऎ तकदीर
डर है हमारे हौसलों से, कहीं तू ही न डर जाए
*******

किसी को हमारी याद आती नहीं
किसी की याद हम से जाती नहीं
कुछ ऎसी ही खामख्वाह वजहों की वजह से
नींद रात भर आती नहीं
*******

न जाने उनके कितने झूठ पकडे जाते रहे
फ़िर भी वे सच का झंडा लिए मंचों की शोभा बढाते रहे
सारी अदालतों के फ़ैसलों के खिलाफ़
तथाकथित ईमानदारी पर मदमदाते रहे
*******

तुम्हारा तो मकसद ही हमेशा बिखेरना रहा है
और मेरी कोशिशें हमेशा सम्भलना रहा है
तुमने कभी कोई कमी नहीं रखी कहने और सुनाने में
मेरा तो स्वभाव ही सुनना, चुप रहना, सहना रहा है
*******



28/04/2011

मसखरों के बीच कैसे, उदासी बांटी जाए


मां तो सिर्फ़ औलाद पैदा करती है
इंसान और सिर्फ़ इंसानियत पैदा करती है
दुनियां ही देती है उन्हें मजहबी तमगे और जातियां
दुनियां ही दिलों में नफ़रत पैदा करती है
*******

सारे गम सह गए होते, अगर आंसू बह गए होते
उन्होंने रोका, टोका न होता..क्या क्या कह गए होते
बहुत मुश्किल थे सवालात इश्किया परचे के
जवाब आते होते तो हम भी पास हो गए होते
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मसखरों के बीच कैसे, उदासी बांटी जाए
दादुरों के बीच कैसे खामोशी बांटी जाए..
*******

सुबकते बच्चे को थपकियां दे सुलाया मैंने
प्यारभरी लोरी गा गुमशुदा नींद को बुलाया मैंने
अपने मन उजियाले सपनों का दीया जला
कलमुहीं रात को खूब चिढाया मैंने
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हाथ बंधा दीजिए, बेजुबां कीजिए
हस्ती मिटा दीजिए, ज़मींदोज कीजिए
एक दिन तो सच का मुतमुइन है 
चाहे जितनी दीवारें चुना दीजिए
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बेबस और लाचार होता जा रहा है
आदमी औज़ार होता जा रहा है
रिश्तों की कडवाहट और खुदगर्जी से 
घर भी अपना बाज़ार होता जा रहा है
*******

उडनेवालों को ज़मीन पर आना ही पडता है
अनंत महाविराट के सामने आखिर सर झुकाना ही पडता है
हिमालय से शिखर के साथ सागर की अतल गहराई भी है
औकात को अपनी औकात में आना ही पडता है




15/04/2011




सुबह से शाम सब के साथ खटते खटते
कितना थक जाता है दिन
इसीलिए यूं ही धाडी के मजूर मानिंद
बिना कहे-सुने चुपचाप ढल जाता है दिन

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कर न सका कुछ सिर्फ़ सोचता ही रह गया
एक जरा सी चूक से जीवन ही बदल गया
कोशिशें बहुत की मगर रोक न पाया
पल भर भी न ठहरा वो पल निकल गया
*******

नीचे के ईश्वर ऊपर के ईश्वरों से बडे हैं
इसीलिए तो सब उनकी सेवा में खडे हैं
जिस पर हो कृपा, करे वारे-न्यारे
जीवन नरक कर डाले जिस पर ये बिगडे हैं
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प्रेम के सारे फ़साने बदल डाले
आइने दिखाने वाले आइने बदल डाले
हमपेशा से ही करते हैं प्रेम, शादी
पेशेवरों ने प्रेम के माने बदल डाले

*******
एक जिद के लिए ज़िंदगी से ठान ली
एक जिद ने न जाने कितनी जिदें पहचान ली
एक जिद पूरी करने के लिए
एक जिद ने जान दी, एक जिद ने जान ली
*******

आंसुओं का अहसास
सिर्फ़ गाल करते हैं
लोग तो सिर्फ़ आंसुओं से
सवाल करते हैं
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दर्पण कभी झूठ नहीं बोलते
और हम कभी सच नहीं बोलते
देखते रहते हैं अपने ही मुखोटै
सच के नहीं कभी, चेहरे टटोलते

01/04/2011

रंगों की भाषा रंगबाज़ ही समझे



बागों के फ़ूल गमलों में ले आते हैं
बागों को ही अपने भवनों में ले आते हैं
कुछ लोग बहुत समझदार होते हैं
पेड वही लगाते हैं, जिन पर ढेरों फ़ल आते हैं
*******

यूं ही नहीं बहुत खास लिखे हैं
अल्फ़ाज़ नहीं दिल के अहसास लिखे हैं
जानते हैं तुम दूर हो हम से, बहुत दूर
फ़िर भी हमने अपने दिल के पास लिखे हैं
*******
सिर्फ़ देह नहीं जीवन की धूरी है स्त्री
अधूरा सिर्फ़ पुरुष, पूरी है स्त्री
स्त्री के हृदय में रमते हैं देव
करुणा,प्रेम, समर्पण, मजबूरी है स्त्री 
*******

खुद को कर आग के हवाले
हर चराग बांटता फ़िरता उजाले
पर नामुराद हवाएं कब समझेगी
उजालों को बचाते पड जाते हैं हाथों में छाले
*******

सब कुछ मिल जाता है जहां में
सिर्फ़ मुहब्बत को ही, मुहब्बत नहीं मिलती
हर फ़ूल लिए है खिलने, खुश्बू बिखेरने की चाह
पर बागवानों की रहमत और किस्मत नहीं मिलती
******* 

घर तो आखिर घर होता है
घर के बिना कहां गुज़र होता है
लोग आते-जाते रहते हैं घरों से
घर ताज़िंदगी हम सफ़र होता है
नाप ले पंछी कितने भी आसमां
लौटता है वहीं, जहां घर होता है
बदकिस्मत वे जिनके घर नहीं होते
घर, घर नहीं परिवार का मंदर होता है
*******

बेरंग भी एक रंग होता है
रंग को समझने का एक ढंग होता है
रंगों की भाषा रंगबाज़ ही समझे 
क्यूंकि रंग तो आखिर रंग होता है 


09/03/2011

घर तो आखिर घर होता है/ घर के बिना कहां गुज़र होता है




हम ही ईश्वर हम ही पुजारी
हम ही राजा हम ही भिखारी
किसको पूजाएं किसको पजाएं
हम ही शिकार. हम ही शिकारी
*******


सिर्फ़ देह नहीं जीवन की धूरी है स्त्री
अधूरा सिर्फ़ पुरुष, पूरी है स्त्री
स्त्री के हृदय में रमते हैं देव
करुणा,प्रेम, समर्पण, मजबूरी है स्त्री
*******

खुद को कर आग के हवाले
हर चराग बांटता फ़िरता उजाले
पर नामुराद हवाएं कब समझेगी
उजालों को बचाते पड जाते हैं हाथों में छाले
*******

सब कुछ मिल जाता है जहां में
सिर्फ़ मुहब्बत को ही, मुहब्बत नहीं मिलती
हर फ़ूल लिए है खिलने, खुश्बू बिखेरने की चाह
पर बागवानों की रहमत और किस्मत नहीं मिलती
*******

घर तो आखिर घर होता है
घर के बिना कहां गुज़र होता है
लोग आते-जाते रहते हैं घरों से
घर ताज़िंदगी हम सफ़र होता है
नाप ले पंछी कितने भी आसमां
लौटता है वहीं, जहां घर होता है
बदकिस्मत वे जिनके घर नहीं होते
घर, घर नहीं परिवार का मंदिर होता है
*******

बेरंग भी एक रंग होता है
रंग को समझने का एक ढंग होता है
रंगों की भाषा रंगबाज़ ही समझे
क्यूंकि रंग तो आखिर रंग होता है
*******

यूं ही नहीं बहुत खास लिखे हैं
अल्फ़ाज़ नहीं दिल के अहसास लिखे हैं
जानते हैं तुम दूर हो हम से, बहुत दूर
फ़िर भी हमने अपने दिल के पास लिखे हैं
*******

03/03/2011


गलतफ़हमियों के शिकार हो गए
रिश्तों के बंद कई द्वार हो गए
गलतफ़हमियों के चपेट में आ
अच्छे भले लोग बीमार हो गए
*******

सच कहने, सुनने की हिम्मत ढूंढ रहा हूं
चेहरे चेहरे पर सच्ची चाहत ढूंढ रहा हूं
जानता हूं मुश्किल है पर असंभव नहीं
स्लम डाग के लिए मिलियनी हकीकत ढूंढ रहा हूं
*******

कुछ सवालों के उत्तर नहीं होते
कुछ रिश्ते बाहर के भीतर नहीं होते
उन कंगूरों का भरोसा क्या करें
नींव में जिनके पत्थर नहीं होते
*******

यार को यार का ना ऎतबार चाहिए
दो और लो, ना इंतज़ार चाहिए
बहुत हाईटेक प्यार है आज का
बात बात पर उपहार चाहिए
*******

बीडी जलाने से शुरु होकर बात
मुन्नी की बदनामी
और शीला की ज़वानी तक
आ पहुंची है
क्या कोई बता सकता है
हमारी सोच
कहां आ पहुंची है?
*******

खामोशियां जब ज़ुंबा खोलती है
हकीकतें कोने टटोलती है
एक के बाद एक खुलते जाते हैं पर्दे
जब आप उनके सामने और वो आपके सामने होती है
*******

कुछ रिश्तों को भरोसा दिलाना मुश्किल है
कितना भी करो, निभना-निभाना मुश्किल है
ज़िंदगी बीत जाती है यूं ही रोते झींकते
उनके संदेहों से पार पाना मुश्किल है

21/02/2011

सांस और दिल का अज़ीब अहम रिश्ता है


बातों ही बातों में बात निकल आती है
एक दो नहीं कई साथ निकल आती है
कितने ही लोकों, लोगों से साक्षात कराती
हर ऊंचाई गहराई नापती चली जाती है
*******

खरबों के तिरुपति, अरबों के सांई
श्रद्दा,भक्ति में कमी कहीं ना आई
लानत है भिखमंगों पर
वहीं के वहीं है भाई!!
*******

सांस और दिल का अज़ीब अहम रिश्ता है
एक हिलाता है एक हिलता है
सांस तो सभी के पास मिल जाती हैं मगर
दिल बहुत मुश्किल से मिलता है
*******

आशिकों के भरोसे बहुत नाज़ुक होते हैं
बहुत ही सिरफ़िरे माशूका माशूक होते हैं
मज़ाल है बिना पूछे सांस भी ले
दोनों तरफ़ हाथों में चाबुक होते हैं
*******

गोदने की मांनिद
बहुत ही बेरहमी से रौंदा ऎसे?
ज़िंदगी, ज़िंदगी नहीं
खालिस मिट्टी का घरौंदा हो जैसे
*******

ज़िंदगी का कोई भी पल दिन महिना साल
साधारण नहीं होता
हर बीता पल दिन महिना साल असाधारण है
जो  जीने का
अगला पल दिन महिना साल देता

06/02/2011


अपनी आंखों में उसे मेरा चेहरा दिखता है
मुझे अपनी आंखों में उसका पहरा दिखता है
सच! यह प्यार है कि बिसात कोई
अपना ही वजूद कोई मोहरा दिखता है
*******

इस ठंड का भी कोई जवाब नहीं
कितना और ठंडाएगी हिसाब नहीं
क्या बताएं किस तरह गुजर रही है
हम बर्फ़ में लगें हैं, आपका साथ नहीं
*******

हर आहट पर उनका गुमां होता है
आग वहां होगी ही, जहां धुंआ होता है
हम क्या बताएं आपको हमारा पता
हम वहीं होते हैं, वह जहां होता है
*******

देखती है पर होलै से छुप छुप कर देखती है
थोडी थोडी देर में रुक रुक के देखती है
कुछ आंखों से जब हटती ही नहीं आंखें
आंखें उन आंखों को झुक झुक के देखती है
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दुआ है, सिर्फ़ लम्बाई में ही नहीं
आदमियत में भी बडा हो
बेटा आपका, आपकी उम्मीदों में भी
बडा हो..
करे अच्छे काम, बडा नाम कमाए!
सबको लगे प्यारा, सबके मन बस जाए!
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इस तरफ़ कि उस तरफ़
ना जाने किस तरफ़
हर राह का मुकाम एक
चले जाओ जिस तरफ़
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राहों को कभी मंज़िल नहीं समझा
मुश्किलों को कभी मुश्किल नहीं समझा
दरिया में उतर कर ही पहुंचते हैं पार
किनारों को कभी साहिल नहीं समझा
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29/01/2011

वह जो कभी साथ दिखती है, कभी छुप जाती है


वह जो कभी साथ दिखती है, कभी छुप जाती है
सिर्फ़ छाया होती है
हमें मुगालते में रखनेवाली
हमारी ही सिरफ़िरी काया होती है
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सदाएं जब बेताब हो जाती हैं
चाहतें इंकलाब हो जाती है
हर सांस एक ज़िंदगी हो जाती है
ख्वाहिशें आफ़ताब हो जाती है
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सपनें अच्छे होते हैं
मगर बहुत कम सच्चे होते हैं
सपनें देखिए पर उनके पीछे भागिए मत
सपनों के घर बहुत कच्चे होते हैं
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भ्रष्ट ताज भ्रष्ट राज
भ्रष्ट व्यवस्था भ्रष्ट काज
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खूबसूरती भी बन जाती है
खुद अपनी मौत का सामान
हर फ़ूल खूबसूरत होता है
टूटने से पहले
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कुछ भी पूछ लीजिए पर
सच भूल कर भी नहीं
बता दीजिए कुछ भी मगर
सच भूल कर भी नहीं
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यारों की बगावतें होती हैं प्यारी
यारों में ही तो बसती है जान हमारी
ये हम में और हम इन में एकमेक
हम ही शिकार, हम ही शिकारी
*****

10/01/2011

हैं खासमखास पर
जब तब बंदूकें तान लेते हैं
यार सरे बाज़ार मेरे
दोस्ती का इम्तिहान लेते हैं
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इतने चेहरों की  भीड यहां पर
पर कितनों का चेहरा है अपना
कितने चेहरे, कितने मुखौटे
मुश्किल असल चेहरे परखना
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क्यूं ऎसी मायूसी क्यूं ऎसे खयाल
क्या हो गया ऎसा जो हुआ ये हाल
रखिए संभाल अस्तित्त्व की नींव को
आप ही तो हैं काल के महाकाल
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खिले कांटों में गुलाब ज्यूं
मैं तुम में खिला
तुम अपरिचित ही रहे
मैं रोज़ तुमसे मिला
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झूठ से हमेशा बच, लिखता हूं
टुकडे टुकडे ही सही, सच, सच लिखता हूं
मैं तमाशा नहीं कि देखे कोई
अपनी धुन में रहता हूं, अपने ही जैसा दिखता हूं

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ज़िंदगी में प्यार, यार जरूरी होता है
दिल के सुकूं के लिए एक दिलदार जरूरी होता है
हकूमत करने और दिखाने के लिए
एक दरबान जरूरी होता है
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इतने बेचारे क्यूं हैं हम
किसी के सहारे क्यूं हैं हम
तुमने तो कभी हमें समझा न अपना
फ़िर भी सिर्फ़ तुम्हारे क्यूं हैं हम
*******

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