Pages

RSS

Welcome to my Blog
Hope you enjoy reading.
Thanks to Dr. Neeraj Daiya.

इस ब्लाग का उद्देश्य मित्रों को अच्छे अच्छे हिन्दी एसएमएस उपलब्ध कराना है. सहयोग अपेक्षित है...जुडें और जोडें

Followers

20/02/2013

देखा है.... पुजते मंजिलों को


न जाने किस किस आंख के घेरे में हूं
हर वक्त किसी न किसी पहरे में हूं
सबको दिखायी देती है मेरी चमक
जानता हूं, कितने अंधेरे में हूं
*******

वो महलों के झरोखे में खड़े हैं
उन्हें महलों पहुंचाने वाले रास्ते बेज़ुबान पड़े हैं
उग आयी हैं झाड़ियां उन मज़ारों पर भी
जो महलों की हिफ़ाज़त में बेमौत मरे हैं
*******



देखा है....
पुजते मंजिलों को
रास्तों की कभी
जयकार नहीं देखी
क्या हुआ जो नहीं पहुंचे वहां तक
हौसलों की कभी
हार नहीं देखी
*******


नहीं जानता स्त्रियां रोती क्यूं रहती है
बात बात आंखें भिगोती क्यूं रहती है
लड़ती क्यूं नहीं लड़ाइयां अपने हक की 
आंसूओं में खुद को डूबोती क्यूं रहती है
*******

उसकी हर बात अदा लगने लगी
वो मुमताज, अनारकली, नूरजहां लगने लगी
यकबयक बचपने से बालिग हो गए
इश्क हुआ तो यार! हम भी गालिब हो गए
*******

1 comments:

सुशील कुमार जोशी said...

वाह !

कृपया निम्नानुसार कमेंट बॉक्स मे से वर्ड वैरिफिकेशन को हटा लें।

इससे आपके पाठकों को कमेन्ट देते समय असुविधा नहीं होगी।

Login-Dashboard-settings-posts and comments-show word verification (NO)

अधिक जानकारी के लिए कृपया निम्न वीडियो देखें-

http://www.youtube.com/watch?v=VPb9XTuompc

Post a Comment

Search This Blog